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सांसे चंदन कर दी उसने माथे पर एक चांद जाड़ा।
शब्द तरासे फिर गीतों में रति जैसा वो रूप गढ़ा।।
प्यार से खोला छुआ लबों से और लगा कर सीने से।
एक प्यार की पाती जैसा मैंने उसको रोज पढ़ा।।