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काया, कण-कण विचरता, देशप्रेम गाने आया हूं!
"मां वाणी" आशीष से, कलम चलाने आया हूं!
आओ मिलकर झूमे-नाचें, "वंदे मातरम" नाद करें!
तुम संग मैं "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाने आया हूं!!
"राष्ट्रगीत", "बंगला-संस्कृत" का सुंदर संगम है!
"वंदे मातरम" में देश को, जननी का संबोधन है!
जल-फल से पोषित वसुधा, चंदन सी शीतलता है!
लहर लहराती फसलें हैं, जीवन की जो अन्नपूर्णा है!
"बंकिम" के "आनंद मठ" की फुहार फैलाने आया हूं!
तुम संग मैं "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाने आया हूं!!
"महाकाव्य" संपूर्ण अनुवाद, मेरे बस की बात नहीं!
अदना सा मैं अल्प ज्ञानी, यह मेरी औकात नहीं!
"मूल भाव" लेकिन मुझे, खूब समझ में आता है!
"भारती" का बखान चहुं ओर, सोते को जगाता है!
रोम-रोम पुलकित हैं मेरे, बस यही बताने आया हूं।
तुम संग मैं "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाने आया हुं
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