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इस तबस्सुम के तलबगार कई हैं लेकिन
तेरे दीदार से चेहरे पे हँसी आती है
गुफ़्तगू तुझ से अगर यार कभी हो जाए
दिन महक जाता है और रात सँवर जाती है
#दीप
#बातें मेरी तुम्हारी
#इश्क़
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इस तबस्सुम के तलबगार कई हैं लेकिन
तेरे दीदार से चेहरे पे हँसी आती है
गुफ़्तगू तुझ से अगर यार कभी हो जाए
दिन महक जाता है और रात सँवर जाती है
#दीप
#बातें मेरी तुम्हारी
#इश्क़