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/#जब_चुनरी_लहराए /
जब गगन लहराई चुनरी,
बालों में बाँध कर बदरी;
संग ले आई धरा सुन्दरी,
धरती खिल हुई सतरंगी।
खिल खिला नभ नारंगी,
मन मस्त हुआ मनरंगी;
श्रुति गूंजे मधुर सारंगी,
प्रसन्न चितवन अतरंगी।
पंख फैलाए संगी साथी,
एक -दूजे से मन बाती;
तरुवर खिले पुष्प पाती,
पावन पवन बने सारथी।
पुष्प - पंखुरी मुस्काए,
मंद- मंद सांस महकाए;
रंग -बिरंगे रूप दिखाए,
जब नभ चुनरी लहराए।
(Pic Source- Pinterest)
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