...

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ना जाने कितनो के मरहम बने रहे
कुछ आए कुछ
चले गए
जिसको जो मिला
वो करते चले गए

हम इश्क में इश्क थे
इश्क से इश्क को
देखते चले रहे

कुछ आए कुछ चले
गए ढूंढे सूकु इश्क
का वो इश्क इश्क
जपते चले , सब कुछ
देख रहा था इश्क वो
इश्क से ही छले गए ,
एक इश्क वो था जिसने
छला, और एक इश्क मैं
ना जाने कितनो के मरहम
बने रहे
© मन की राह @ Neeraj singh