जून की बात
#जून
जून की बात है, उसमें भी कुछ घात है
धूप की तपिश से मन में होता है व्याकुलता।
गर्मी के महीने में, सबको लगता है प्यासा
किन्तु समय का साहु, कौन बनेगा प्रतिष्ठित हास्य।
सूरज की किरणों से प्रकाशित होता है जहान
पर मनुष्य को अंधकार से परेशान।
समय के संग-संसार में, पल-पल बहती धार
कहीं समर्पित होता है, कहीं मुसीबतों में प्रकर्म।
प्रतिदिन के 24 घंटे, समय का...
जून की बात है, उसमें भी कुछ घात है
धूप की तपिश से मन में होता है व्याकुलता।
गर्मी के महीने में, सबको लगता है प्यासा
किन्तु समय का साहु, कौन बनेगा प्रतिष्ठित हास्य।
सूरज की किरणों से प्रकाशित होता है जहान
पर मनुष्य को अंधकार से परेशान।
समय के संग-संसार में, पल-पल बहती धार
कहीं समर्पित होता है, कहीं मुसीबतों में प्रकर्म।
प्रतिदिन के 24 घंटे, समय का...