साक्षरता दिवस
कहतें हैं पढ़ लिख लो कुछ बन जाओ,
आज कल तो पढ़े लिखे भी मुरख बनें है।
देखा है मैंने उस साक्षर को,
अपने ही माँ- बाप को वृद्धाआश्रम छोड़ते।
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आज कल तो पढ़े लिखे भी मुरख बनें है।
देखा है मैंने उस साक्षर को,
अपने ही माँ- बाप को वृद्धाआश्रम छोड़ते।
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