...

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किताब
समेटती अल्फाज कितने,भावो को ये सहेजे
उल्फते इनायत भी है,नजाकत कही निगारत लिए
तौहीन का हुनर भी मीठा,कह गयी कभी शब्द तीखा
लहजो के बेशुमार किस्से,अनुचित उचित का ध्यान इसमे
कायदो कानून का ठेका,है लगता इनसे ही चलता
अनगिनत अलंकार लेकर, है सुशोभित इसकी गलिया
रोचक, कभी उदास सी,धूमिल कही स्पष्ट कृतियां
आलोचक तो कही व्यंग्य धारण, लेती कितने बाण तीखे
मरहमो का...