मन।
ये मन भी है कितना अजीब सा, कभी ये एक पल मे है हँसता, तो कभी बिना बात ही रो देता, कभी ये बेचैन है रहता, तो कभी चंचल सा है इतराता, कभी इसमें सौ इच्छाएं दफ़न हो जाती, तो कभी एक इच्छा पूरी ना होने पर ज़िद्द है करता, कभी ये खुले आसमां के नीचे...