इश्क में चोट
हम तो पहले ही चोट खाए बैठे थे
खुद को ही खुद का खुदा बनाए बैठे थे
बड़ी मुश्किल से किसी पर यकीन किया था
जिस पर अपना सब कुछ लुटाए बैठे थे
सोचा नहीं था कुछ इस कदर तुम भी हमें रुलाओगे
जितनी दीं थी सारे जहां की खुशियां
हम तो इनको सच बनाए बैठे थे
इतना जुल्म क्यूं किया ऐ ज़ालिम
हम तो तुझे अपना खुदा बनाए बैठे...
खुद को ही खुद का खुदा बनाए बैठे थे
बड़ी मुश्किल से किसी पर यकीन किया था
जिस पर अपना सब कुछ लुटाए बैठे थे
सोचा नहीं था कुछ इस कदर तुम भी हमें रुलाओगे
जितनी दीं थी सारे जहां की खुशियां
हम तो इनको सच बनाए बैठे थे
इतना जुल्म क्यूं किया ऐ ज़ालिम
हम तो तुझे अपना खुदा बनाए बैठे...