...

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इंतजार करने दो
मेरे इंतजार में मशरूफ रहो हमे ये कहां मज़ुर।
जो वक़्त मिले उसमें मुझे तुम साथ तो रहने दो।

थे जो मेरा नामुमकिन ख़्वाब बने यूं हकीकत।
तुम जो बने हक़ीक़त दुनिया को मानने तो दो।

कुछ आलम अच्छे होगे जो खुदा ने मिलवाया।
मांगी जो दुवा को एक बार कबूल तो होने दो।

यकीन हमें अपने से ज्यादा आप पर ही तो है।
हम भी सब्र की राह पर है,वो पल तो आने दो।
© પૂર્વી