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#जिंदगी....✍️
जिसे चाहे उसे तू आसमान लिख दे।
मुझको मगर बेहतर इंसान लिख दे।
मैं जुगनू ही सही अपनी सिफत से।
तू मेरे हिस्से अंधेरी शाम लिख दे।
पाल ली दुश्मनी बहुत नाम कमाके।
तू मुझको फिर से गुमनाम लिख दे।
थका गया मुझे ख्वाहिशों का सफ़र।
मुकद्दर में मेरे कोई मकाम लिख दे।
दौड़ी चली जा रही ज़िंदगी बेलगाम।
राहों में मेरे थोड़ा आराम लिख दे।
© ए B...🍂
मुझको मगर बेहतर इंसान लिख दे।
मैं जुगनू ही सही अपनी सिफत से।
तू मेरे हिस्से अंधेरी शाम लिख दे।
पाल ली दुश्मनी बहुत नाम कमाके।
तू मुझको फिर से गुमनाम लिख दे।
थका गया मुझे ख्वाहिशों का सफ़र।
मुकद्दर में मेरे कोई मकाम लिख दे।
दौड़ी चली जा रही ज़िंदगी बेलगाम।
राहों में मेरे थोड़ा आराम लिख दे।
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