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गीत‌‌.............नियति
ये संसार छलावा माया का है खेल पुराना


समय बदला है माना कि नौकरी छूटी है
बिजनेस बंद है माना कि जेब खाली है

माँ अभी भूखी है और घर में नहीं रोटी है
खिला सका न उसे किस्मत ही मेरी खोटी है

कोई बूढ़ा बीमार है मजबूर है लाचार है
दवा घर पे नहीं जान जाने का आसार है

सांस रुक गई उसकी और लाश मिली नहीं
पुष्प चढ़ा नहीं, अर्थी सजी नही,चिता जली नहीं

धैर्य छूट गया ...