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बचपन
जो जिया था बेफिक्री का बचपन वो अगर फिर से लौट आए तो ज़िन्दगी से कोई गिला नहीं , वो फिर से लोगो के चहरे पर मुस्कान लौट आए तो कोई शिकवा नहीं । वैसे इस ज़िन्दगी से भी कोई रूठना मनाना नहीं , पर वो अपने दोस्तो का साथ फिर से मिल जाए तो किसी से कोई बैर नहीं । जब भी उन पलो को देखता हूं तो लगता है , कितनी तसल्ली कितना ठहराव था उस ज़िन्दगी में । ना कोई चिन्ता ना कोई परेशानी , कितना सादगी भरा था वो बचपन ।