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नया साल नई उम्मीदें
संग अपने लेकर आया है नया साल नई उम्मीदें,
उत्साह उमंग से हरेक क्षेत्र में गढ़ता चल नये कशीदे।

अपनी गलतियों से सीखकर बढ़ना आगे इन राहों में,
नज़रिया बदल कि बुराई में भी अच्छाई ही देखें दीदे।

जमीं से जुड़े रहकर अपने हौसलों से छूँ ले आसमाँ,
कि घबराना ना कभी भी तू अपनाने से नई तजदीदे।

फ़िर से सपने सजा जो मर चुके उन्हें भी पूरा कर लें,
विश्वास ख़ुद पे ही रख कि ना सहनी पड़े ना-उम्मीदें।

राग, द्वेष, नफ़रत छोड़ गीत गा तू प्रेम के "पुखराज"
चालाकियाँ, मक्कारी छोड़ दें मिलेगा सुयश मज़ीदे।

© पुखराज