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कहानी नौरंगी की
एक जाट के हुई लड़की सबने बड़ी खुशी मनाई,
उसके घर कुछ समय से था एक नौकर नाई।
लड़की हुई बड़ी तो उसकी शादी की बारी आई रे,
जाट -जाटनी गए नहाने,धोने पाप गंगा माई में।
पीछे से बोला नौकर ,मुझसे करले शादी ए लड़की,
बोली ये है बात गलत,मै हूं आपकी बेटी की उम्र की।
नौकर ने की जिद्द बहुत, सोचे लड़की ये समय है कैसा ,
मैं करूंगी विवाह आपसे,पहले आप बनाओ एक महल मेरे पिता के जैसा।
नौकर ने उसके पिता के धन से ही महल बनाने की शुरुआत की,
कर रहे है आप ये पाप लड़की में मजदूरों से सारी बात की।
महल जीतना बनाए उतना तोडे, ऐसे मजदूरों ने लड़की का साथ दिया,
उसके माता पिता लौटे वापस तो नौकर ने बोल झूठ सब, हाथ पानी लौटा और मुंह में घास लिया।
पिता ने लड़की की आंख निकालने का आदेश दे दिया उसको इतना गुस्सा आया,
मुझसे नही होगा ये पाप सोचा उस नौकर ने तो सामने आया हिरण तो उसकी ही आंख निकल ले आया।
लड़की ने हारकर बनवाया पान जहर का,
कौन मार सकता उसको जिस पर पर्भु का पहर था।
गई बच जान उसकी, दिया छोड़ वेश लड़की का ,
बीच रास्ते बैठे संत, उसके पास चली वा (वह)।
सब बाते बताई कन्या ने उस संत को,
भोर संवेरे आया जाट का जवाई, दिया न्योता शादी का उस चेले और संत को।
पहुंचे दोनो जाट के घर, ना जलपान किया ना खाना खाया,
संत जी ने जाट को दुष्ट मानस बताया।
बार बार दुष्ट सुनने पर जाट पधारा संत के सामने,
हे संत क्या किया मेने ऐसा जो बोला मुझे दुष्ट आपने।
संत ने एक एक करके सारी बात बताई,
पसीने से भीगता हुआ, चलो काम करो अपना अपना बोला वो नाई।
जाट को आया गुस्सा नाई की हरकत से,
अपनी बेटी से माफी मांग उसकी शादी कर किया विदा अपनी चौखट से।।
Andy Verma.......... ✍️
#ऐतिहासिकध्वनियाँ
© Andy 420...........
उसके घर कुछ समय से था एक नौकर नाई।
लड़की हुई बड़ी तो उसकी शादी की बारी आई रे,
जाट -जाटनी गए नहाने,धोने पाप गंगा माई में।
पीछे से बोला नौकर ,मुझसे करले शादी ए लड़की,
बोली ये है बात गलत,मै हूं आपकी बेटी की उम्र की।
नौकर ने की जिद्द बहुत, सोचे लड़की ये समय है कैसा ,
मैं करूंगी विवाह आपसे,पहले आप बनाओ एक महल मेरे पिता के जैसा।
नौकर ने उसके पिता के धन से ही महल बनाने की शुरुआत की,
कर रहे है आप ये पाप लड़की में मजदूरों से सारी बात की।
महल जीतना बनाए उतना तोडे, ऐसे मजदूरों ने लड़की का साथ दिया,
उसके माता पिता लौटे वापस तो नौकर ने बोल झूठ सब, हाथ पानी लौटा और मुंह में घास लिया।
पिता ने लड़की की आंख निकालने का आदेश दे दिया उसको इतना गुस्सा आया,
मुझसे नही होगा ये पाप सोचा उस नौकर ने तो सामने आया हिरण तो उसकी ही आंख निकल ले आया।
लड़की ने हारकर बनवाया पान जहर का,
कौन मार सकता उसको जिस पर पर्भु का पहर था।
गई बच जान उसकी, दिया छोड़ वेश लड़की का ,
बीच रास्ते बैठे संत, उसके पास चली वा (वह)।
सब बाते बताई कन्या ने उस संत को,
भोर संवेरे आया जाट का जवाई, दिया न्योता शादी का उस चेले और संत को।
पहुंचे दोनो जाट के घर, ना जलपान किया ना खाना खाया,
संत जी ने जाट को दुष्ट मानस बताया।
बार बार दुष्ट सुनने पर जाट पधारा संत के सामने,
हे संत क्या किया मेने ऐसा जो बोला मुझे दुष्ट आपने।
संत ने एक एक करके सारी बात बताई,
पसीने से भीगता हुआ, चलो काम करो अपना अपना बोला वो नाई।
जाट को आया गुस्सा नाई की हरकत से,
अपनी बेटी से माफी मांग उसकी शादी कर किया विदा अपनी चौखट से।।
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