टूट रही हूं
टूट रही हूं
क्यों बताऊं कि उम्मीदें खत्म हो गई हैं
मैं भी क्यों कहूं कि मैं अब टूट रही हूं,
क्या कहना और क्या सुनना किसी से
क्यूं कहूं कि ख़ुद ही ख़ुद से छूट रही हूं,
कुरेद रहें हैं भरपूर, जी भर ज़ख़्म मेरे
क्यूं कहूं कि और नहीं, मैं टूट रही हूं,
...
क्यों बताऊं कि उम्मीदें खत्म हो गई हैं
मैं भी क्यों कहूं कि मैं अब टूट रही हूं,
क्या कहना और क्या सुनना किसी से
क्यूं कहूं कि ख़ुद ही ख़ुद से छूट रही हूं,
कुरेद रहें हैं भरपूर, जी भर ज़ख़्म मेरे
क्यूं कहूं कि और नहीं, मैं टूट रही हूं,
...