अपना-सा-एक कोना
#ख्वाबोंकासफर
मेरा अपना-सा-एक कोना, मेरा बचपन, हसना और रोना
वही होता था मेरा हर खेल और खिलौना|
मेरी वो छत, मुझे सबसे प्यारी थी,
अभी बस होता हैं उसमें ख्वाबों का सफर, इतनी यादें वहां गुज़ारी थी|
आ बसे है इन शहरी मिनारो में,
चार मंज़िला इमारत में|
ये खुदको ऊंचा बताती है,अब इसे कौन समझाऐं?...
मेरा अपना-सा-एक कोना, मेरा बचपन, हसना और रोना
वही होता था मेरा हर खेल और खिलौना|
मेरी वो छत, मुझे सबसे प्यारी थी,
अभी बस होता हैं उसमें ख्वाबों का सफर, इतनी यादें वहां गुज़ारी थी|
आ बसे है इन शहरी मिनारो में,
चार मंज़िला इमारत में|
ये खुदको ऊंचा बताती है,अब इसे कौन समझाऐं?...