न रोक लेते हैं न.. डिलेट कर सकते हैं..
क्यों आते हैं वो क्षण
जो हमे बाद मे लगते है
कि आये ही क्यों
क्यों नही रुक जाता समय
या क्यों नही कर पाते हम
डिलेट
उन यादों या क्षणों को
जो हमें कचोटती है
जीवन भर
रोक क्यों नही लेते हम
उन लम्हों को
जो शायद भूल नही पाते हम
जीवन देते रहते हमारी
मधुर यादों को जो
चली जाती है
दुबारा न आने को
सिर्फ दर्द का एहसास दे जाती हैं जो
जो हमे बाद मे लगते है
कि आये ही क्यों
क्यों नही रुक जाता समय
या क्यों नही कर पाते हम
डिलेट
उन यादों या क्षणों को
जो हमें कचोटती है
जीवन भर
रोक क्यों नही लेते हम
उन लम्हों को
जो शायद भूल नही पाते हम
जीवन देते रहते हमारी
मधुर यादों को जो
चली जाती है
दुबारा न आने को
सिर्फ दर्द का एहसास दे जाती हैं जो