...

3 views

ब्रह्मचारिणी
लिखकर पद्य , देवी ब्रह्मचारिणी पर
परिचय सबको करवाता हूँ ,
हैे ये द्वितीय रूप नवदुर्गा की
अब कथा मैं संक्षिप्त में बताता हूँ |
जब शिव से विवाह करने हेतु
किया तपस्या शैलपुत्री ने पूर्वजन्म में ,
वह साधना इतनी कठोर थी जिससे
यह नाम मिली पुनर्जन्म में |
जिसमें अर्थ ब्रम्ह का है तपस्या
चारिणी यानी आचरण करने वाली ,
करें जो भक्त मन से प्रार्थना
उसके सभी दर्द दुखों को हर जाती |
इनके बाएं हाथ में होती कमंडल
दाएं में जप की माला ,
चूकि मिश्री, चीनी काफी हैं पसंद
तभी भोग में चढ़ाया जाता |
अतः हे देवी हम सबको देना
बुद्धि ,संयम और विवेक,
करना दुष्प्रवृतियों से मुक्त
जिससे मानव एक दूसरे में ना करें भेद |




© All Rights Reserved