...

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मैं जानती हूँ
मेरे बाद भी बहारों के मौसम आते रहेंगे,
मेरे बाद भी ये लोग सब मुस्कुराते रहेंगे।
तुम कहीं कोने में खड़े मुझे सोचा करोगे,
यूँ जो मरते हो मुझ पर फिर किस पर मरोगे।।

मेरे बाद भी मनेगी ये होली-दीवाली,
मेरे बाद भी होंगी वही नजरें सवाली।
मगर तुम होकर के गुमसुम रोया करोगे,
फिर कैसे भला तुम रातों में सोया करोगे।।

मेरे बाद भी होगा सबका सजना-संवरना,
मेरे बाद भी होगा आँगन खुशियों से भरना।
तुम उस भीड़ में मुझको तलाशा करोगे,
उन चेहरों में मेरे होने की आशा करोगे।।

मेरे बाद भी ये जीवन सबका चलता रहेगा,
मेरे बाद भी निकलेगा सूरज और ढलता रहेगा।
तुम रख सीने पर हाथ खुद को संभाला करोगे,
और मेरे ज़िक्र से भरे सवाल तुम टाला करोगे।।

मेरे बाद भी होगा दिन और ये रात भी होगी,
कुछ वक़्त तक महफ़िल में मेरी ही बात होगी।
तुम सबको मेरी ही कहानियां कहा करोगे,
मैं जानती हूँ तुम हर दर्द अकेले सहा करोगे।।

मैं जानती हूँ..
-रूपकीबातें
❤️
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© रूपकीबातें