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पाषाण और पानी
पत्थर पर
निशान बना देती है
सुकोमल धारा जल की
जल में
टूटे पत्थरों का कोई
निशान नहीं बचता
यहां पुरुष है पाषाण,
स्त्री जल धार
पुरुष भूल नही पाता
अपनी मनचाही स्त्री
और स्त्री सदैव
ढोती है आत्मसात कर
अपने प्रियतम को
© Poeत्रीباز
निशान बना देती है
सुकोमल धारा जल की
जल में
टूटे पत्थरों का कोई
निशान नहीं बचता
यहां पुरुष है पाषाण,
स्त्री जल धार
पुरुष भूल नही पाता
अपनी मनचाही स्त्री
और स्त्री सदैव
ढोती है आत्मसात कर
अपने प्रियतम को
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