...

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~मानसिक रोग~
युग को समझे मनुष्य ये भार,
युग ही है बदलाव की धार,
रोगी भये ना शरीर से,
भये रोगी मानसिक विचार।।

बाल्यावस्था का सुखदायी पल,
बह गए जैसे नदियों के जल,
विचार कर रहे भ्रमण,
बनाते चित्त को भी चिंताघर।।

ये पर्यावरण प्रदूषण नही है रोग के...