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जिंदगी की आलम
रोना चाहते हैं
रो नहीं पाते हम
सोना चाहते हैं
सो नहीं पाते हम
अंदर अनगनित शोर मचा हुआ हैं
तूफ़ान उठ रही हैं
दर्द की
बाहर समुंदर सा गहरा हैं
जैसे कुछ हुआ ही नहीं
एक अजीब सी बेबसी भरी
आलम चल रहा हैं
बस ऐसा ही कुछ चल रहा हैं
इन दिनों जिंदगी में मेरी ,,
रो नहीं पाते हम
सोना चाहते हैं
सो नहीं पाते हम
अंदर अनगनित शोर मचा हुआ हैं
तूफ़ान उठ रही हैं
दर्द की
बाहर समुंदर सा गहरा हैं
जैसे कुछ हुआ ही नहीं
एक अजीब सी बेबसी भरी
आलम चल रहा हैं
बस ऐसा ही कुछ चल रहा हैं
इन दिनों जिंदगी में मेरी ,,
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