"माँ "की झुर्रिया....
आज अनायास ही माँ के चेहरे की झुर्रिया पढ़ने का मन किया,
किसी में मेरी फ़िक्र की शिकन थी,
किसी में पापा के सेहत की चिंता,
कुछ लकीरें घर गृहस्थी में सिकुड़ी मिली,
कुछ रसोई के मसालो के डिब्बे में उलझी मिली,
उनकी झुर्रियो की हर लकीर में,
उनकी पूरी उम्र का लेखा जोखा था,
कपड़ो के रख रखाव के सलीके की लकीरें,
दीवारों पर लगे जाले साफ करने की जल्दी,
पूजा की...
किसी में मेरी फ़िक्र की शिकन थी,
किसी में पापा के सेहत की चिंता,
कुछ लकीरें घर गृहस्थी में सिकुड़ी मिली,
कुछ रसोई के मसालो के डिब्बे में उलझी मिली,
उनकी झुर्रियो की हर लकीर में,
उनकी पूरी उम्र का लेखा जोखा था,
कपड़ो के रख रखाव के सलीके की लकीरें,
दीवारों पर लगे जाले साफ करने की जल्दी,
पूजा की...