...

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रुई सा ह्दय
आपके दिल को बहुत मजबूत होना चाहिए
नहीं नहीं,
फ़ौलादी नहीं
के जो टकराए
वह ख़ुद ही टूट जाए..
नहीं नहीं..
आपका ह्दय
रुई सा होना चाहिए...
soft बहुत soft..
मग़र
मरहम पट्टी करने को वही काम आती हैं,
घाव को भरने में मदद करती हैं
घाव को नासूर होने से रोकती हैं
दूजे के दर्द को कम करने
और चोट को भरने के काम आती हैं।
दवा टिकाने के काम आती हैं।
मग़र तुम इसे कितना भी पटको,
कुचलों, मसलो, मरोड़ो
फ़िर वह उसी shape में आ जाती हैं
जो उसका वास्तविक स्वरूप हैं,
उसी को धर लेती हैं...
इतना detach होना चाहिए
उर को जगत और जीवन से।
घाव की गंदगी को साफ़ करती हैं,
रक्त के रिसाव को रोकती हैं
infection को फ़ैलने नहीं देती..
सब ख़ुद में सोख लेती...
दुःख दर्द तकलीफ़ सभी के...
मग़र वह रखती अपने पास
किसी का कुछ नहीं हैं..।
दुख दर्द तकलीफ़ किसी का भी हों
दिया हो किसी का
या लिया हों किसी से..
पानी में डालों ज़रा उस रोई को
देखो सब पानी में बहा देती हैं..
सोखा सब..
कुछ भी वह अपने पास नहीं रखती..
सब पानी में बहां देती हैं..
देखा हैं कभी!?
बस इतना ही detached होना चाहिए
जगत और जीवन से उर को।
दिए में रखदो..
वह बाती रूप ले..
जग की ज्योति बन जाती हैं
रौशनी का कारण..
और अंधेरे के
दूर होने की वजह बन जाती हैं।
महज़ इतना ही उसे जग में संमलित होना चाहिए..
काम खतम,
तेल खतम जीवन का..
और वह भी आम राख ही हो जाती हैं... 😊।

ख़ास जीवन नहीं,
जीने का तरीका होना चाहिए...
होना सबको राखं ही हैं,
क्या ख़ाक से बचना फ़िर,
ख़ाक ही जब होना हैं...
मृत्यु तो सबकी एक सी ही होती हैं,
बात महत्व को ये
के तुमने जिंदगी कैसे जी
बस यही तुमको ख़ास बनाती हैं!
क्या मिला वह नहीं,
क्या दिया ...
यही बताता हैं
कितना जिया तुमने 😊।
और कितना खो दिया।

इसीलिए कहती हूँ
ह्दय हो तो रुई जैसा..
जख़्म और चोटों पर ही
उसकी तेनाती हैं..
मग़र चोट देने में वह असक्षम हैं। 😊
ह्दय यह रुई जैसा!!

9.00pm
17.8.2024


© S🤍L