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सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका,
हर कोई कहीं न कहीं को चला है।
होती है सब में, थोड़ी तो बुराई,
नहीं कोई इंसान सारा बुरा है।
भला आदमी भी होता बुरा है,
बुरा आदमी भी होता भला है।
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका,
हर कोई कहीं न कहीं को चला है।
होती है सब में, थोड़ी तो बुराई,
नहीं कोई इंसान सारा बुरा है।
भला आदमी भी होता बुरा है,
बुरा आदमी भी होता भला है।
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