...

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लड़का...
चंद पैसे कमाने को है मजबूर लड़का...
घर चलाने को है घर से दूर लड़का.….

अपनो से दूरी का गम सही मायने में
जानते हुए भी शहर गया,है मजदूर लड़का

आंसुओं पर बंदिश है और कोई देख न ले
इसलिए रो भी नही पाता,है कभी भरपूर लड़का

इश्क की बस्ती में पांव अगर रखे तो
ज़माने में बेवफाई से,है मशहूर लड़का

चांद है लड़की यहां,सभी कहते
कोई नही कहता,है कोहिनूर लड़का

चंद पैसों को,है भटक रहा
वक्त की मार में,है परिवार को तड़प रहा....

दो वक्त की रोटी और अपनो पर, है कर्ज को
कमाने में मशरूफ लड़का

नोट:प्रस्तुत पंक्तियां मेरी अपनी जिंदगी को बायां करती है


© ~WriterRj~✓