...

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MERI MANZIL
टूटकर फ़िर जूड़ा हूँ मैं
मुकम्मल नहीं, कुछ अधूरा हूँ मैं
रास्ते बदलते जा रहे हैं
हर कदम पर मंज़िल के मेरी
एक ऐसे सफ़र पर चल पडा हूँ मैं |
© -priyamvada