...

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मे सबसे दूर जाना चाहती हुं!
सबकी अंखो के आश्क बनना चाहती हुं,
मे सबसे दूर जाना चाहती हुं!

सभी की मस्कुराहट छिनके
उन्हे दुःखी करना चाहती हुं,
मे सबसे दूर जाना चाह ती हुं!

अब शांती से गहरी निंद मे सोना चाहती हुं
मे सबसे दूर जाना चाह ती हुं!

मे किसी का येहसान नहीं चाहती
बस मेखाणे तक चारो के कंधे पर जाना हे!

मे एक बार मरणा चाहती हुं,
मे सबसे दूर जाना चाहती हुं!

© Sakshi mulepatil....