...

6 views

मोह का धागा
अपनों से ऐसा बंधन जुड़ा
मोह का धागा कुछ ऐसे गढ़ा
बड़ा ही चंचल, बड़ा जटिल है
उलझन उलझे, धागा न टुटे ।
दुःख या पीडा, उसकी व्यथा है
अपने मन की भी यही दशा है ।
मोह का धागा कभी रूई सा नर्म है ।
सख्त न ये रह पाता है
मासूम बड़ा ये मोह का धागा।



© preet