...

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महादेव
हां महादेव में दुखी हूं
आज नहीं कई दिनों से,
खफा हूं अपने आप से ,
रूठी हूं कई जनो से।।

आपके पास ही अति हूं
अब कोई ना समझ पाता ,
हाथ रख दो सर पे एक बार,
अब रोया नहीं जाता।।

अब तो मर भी जाऊं ,
कोई गम नहीं मुझे,
कितना गम लेके चलती हूं,
देवा पता है ना तुझे ।।

दर्द समेटे अपनी ,
तेरे पास चली अति हूं,
इस झुटी दुनिया से थक के ,
तेरे पास ही सुकून पाती हूं।।

इतना दर्द क्यू महादेव,
मेने ऐसा क्या पाप किया है,
सबको खुश रखने की चाह में
खुद इतना दुख पाया है।।

अब उतना साहस भी दो,
लकीरें हैं जब ऐसी जोड़ा
हाथ समेटे अपनी
मुझ जग देदो थोड़ा।।