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जीवन एक संघर्ष
जीवन एक संघर्ष

जीवन एक संघर्ष रहा,कल भी था,आज भी हैं,
नहीं पता कल क्या होगा,मिला हैं जीवन चार दिन की,

प्रेम से इसे बिताना हैं,जो हैं अपने पास इन्हीं के संग
हंसी खुशी बिताना हैं,बिना संघर्ष नहीं मिलता हर्ष,
ये जीवन हैं बस एक संघर्ष,

प्रबल वेग की धारा में मैं संघर्षकारी बहती रही,
चलती रही तब तक जब तक तैर आने से पहले
तक कोई ना किनारा सहारा मिला,

ख़ामोश रही मैं हर ग़म पे सहती रही,घुटती रही,
पर सब्र और धैर्य कभी ना हारा,था विश्वास अपने

कर्मो पर और अपने कर्मो को नारायण को दे वारा,
अगर कोई चोट ना लगे और ना खाए जो जख्म,
बिना संघर्ष मिल जाए तो,जीत की कोई खुशी नहीं,