मोती ...
चीखतीं रही वो
चिल्लाती रही वो
मैं भी क्या करूं
उसको दरवाजा बंद करने की आदत जो है
उसको बाग़ी होने का शौक जो है
मैं भी क्या करूं
उसको साथ छोड़ने का गुरुर जो है
उसके पास रिश्तों को तोड़ने
का हुनर जो है
मैं भी क्या करूं
मुस्कराती रही वो
तड़पती रही अपनों के लिए
मैं भी क्या करूं
उसके पास सिसकियों की कीमत जो है
उसके पास बद्दुआओं का असर जो है
मैं भी...
चिल्लाती रही वो
मैं भी क्या करूं
उसको दरवाजा बंद करने की आदत जो है
उसको बाग़ी होने का शौक जो है
मैं भी क्या करूं
उसको साथ छोड़ने का गुरुर जो है
उसके पास रिश्तों को तोड़ने
का हुनर जो है
मैं भी क्या करूं
मुस्कराती रही वो
तड़पती रही अपनों के लिए
मैं भी क्या करूं
उसके पास सिसकियों की कीमत जो है
उसके पास बद्दुआओं का असर जो है
मैं भी...