कायनात
हवाओं में कुछ नमी - सी थी,
धूप भी कुछ भीगी-सी थी।
दिल में था मेरे सैलाब ,
आंखों में ख्वाब-सा था।
सांसें भी तेज़ होने लगी थी,
शायद कायनात की सबसे कीमती चीज मुझे मिलने वाली थी।
© Chirag Poonia
धूप भी कुछ भीगी-सी थी।
दिल में था मेरे सैलाब ,
आंखों में ख्वाब-सा था।
सांसें भी तेज़ होने लगी थी,
शायद कायनात की सबसे कीमती चीज मुझे मिलने वाली थी।
© Chirag Poonia