...

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सफ़र हैं सुहाना
सफ़र हैं सुहाना
इसे यूं ही ना गंवाना
बस चलते चले जाना

ग़म मंजिल से दूरी का
दिल में तु ना रखना
ये सफ़र भी है सुहाना

पैरों में तपिश लगें
थोड़ा ठहरना छांव में
फिर चलते चले जाना

आंखों से अश्क बहनें लगें
पोंछ लेना हाथों से अपने
शुरू कर ये सफ़र हैं सुहाना

तड़प लगें दिल में ऐसी
जल जाएं चराग यकीं के
बस हर मुश्किल पे क़दम बढ़ाना

डर कर फिर दरिया ना हो पार
मल्लाहों का इंतजार ना कर
तैर कर हौंसले से साहिल पर जाना

हार का डर हटाकर दिल से
मंजिल के ना मिलने की फ़िक्र हटा
चलता जा ये सफ़र हैं सुहाना
-utsav kuldeep











© utsav kuldeep