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फादर स्टेन स्वामी
Dedicated to Fr. Stan Swami
फादर स्टेन स्वामी
पीछे पीछे उसके ज़नाजे के देखो दुनिया चल पडी,
सालो से वीराने में गुज़ारी थी जिसने अपनी ज़िन्दगी।
ख़ुशहाली की अपनी शानो शौकत छोड़ कर उसने ,
जंगलो में खिदमतगार बनके बिताई उसने ज़िन्दगी।
ग़रीब गुरबो की आवाज़ बनके वो जिया कुछ इस तरह,
जाते जाते उनकी आवाज़ को बुलंदी पे चढ़ा गया।
लोग यूँ ही मसीहा बनने की होड़ लगाते है इस कदर "रवि" ,
इस नाचीज़ को लोगो ने उसे अपना मसीहा बना लिया।
चाहने वालो ने उनकी रिहाई की बहुत गुज़ारिश की हुक्मरानों से,
फ़रियाद न सुनी तो, ज़न्नत बख़्श खुदा ने रिहाई दे दी दुनिया से।
राकेश जैकब "रवि"
फादर स्टेन स्वामी
पीछे पीछे उसके ज़नाजे के देखो दुनिया चल पडी,
सालो से वीराने में गुज़ारी थी जिसने अपनी ज़िन्दगी।
ख़ुशहाली की अपनी शानो शौकत छोड़ कर उसने ,
जंगलो में खिदमतगार बनके बिताई उसने ज़िन्दगी।
ग़रीब गुरबो की आवाज़ बनके वो जिया कुछ इस तरह,
जाते जाते उनकी आवाज़ को बुलंदी पे चढ़ा गया।
लोग यूँ ही मसीहा बनने की होड़ लगाते है इस कदर "रवि" ,
इस नाचीज़ को लोगो ने उसे अपना मसीहा बना लिया।
चाहने वालो ने उनकी रिहाई की बहुत गुज़ारिश की हुक्मरानों से,
फ़रियाद न सुनी तो, ज़न्नत बख़्श खुदा ने रिहाई दे दी दुनिया से।
राकेश जैकब "रवि"
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