...

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जिस रास्ते से कोई नही जाता
हर रोज सुबह उगते सूरज के साथ
दो रास्ते दिखते है,
हर रोज मै अपनी खिड़की से
निहारती हु जो दिखते है,

मै रोज सोचती हु
कौनसा होगा वो रास्ता,
जहा मै जाऊंगी
स्कूल के बाद,

कई बार लगता है
जो पढा रहे है स्कूल मे
क्या वो सच है?
या कोई और भी स्कूल होगा
इस स्कूल के बाहर ?

मै कई बार माँ से भी कहती हु
बात करती हु इसी बारे मे,
पर न जाने क्यो
चुप करा देती है वो मुझे,

क्यू कोई इस बारे मे बात नही करता
क्यू नही बताता कोई रोज सुबह उठ कर
सूट पहन कर ये लोग घर से दूर क्यू जाते है?
जब की घर मे इतना मजा आता है,

क्या उन्हे घर के लोग पसंद नही?
पर फिर जाने से पहले इतने विवश
क्यो दिखते है?

अपने झूले पे बैठी मै सोचती हु,
शायद सब डरते है दो मीनट रुकने से
शायद ये एक रेस है
जिसमे ये फस चुके है,

नही सोचना चाहते
मेरी तरह,
शायद ये मुश्किल है,

मै खूब पूछती हु
पर कोई जवाब नही दे पाता,
क्यो नही चुनते ये लोग उसे
जिस रास्ते से कोई नही जाता।
जिस रास्ते से कोई नही जाता।


© drowning angel