...

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*** एहसास ***
*** कविता ***
*** एहसास ***

" तुमसे जो कुछ बात करना चाहू ,
तुम किस बात पे मुझे रोकोगे ,
हाले दिल का एहसास से वाकिफ तो होंगे तुम ,
तुम भला मेरे पावदी को कैसे आजादी दोगे ,
रोक लेता हूं मैं खुद को तेरे दूंर जाने से ,
तुम भला हमारे बेज़ारी को कौन सा तोहफा दोगे ,
अश्क रुकेंगे की सुख जायेंगे इन आंखों का ,
कि इसे कौन से दरिया और समन्दर का कबूलनामा दोगे ,
तुमसे जो कुछ बात करना चाहू ,
मेरे अरमां कुछ नहीं बहुत कुछ बाकी है ,
इस ख्याल को यूं ही कैसे दूर होने की इजाजत दूं मैं ,
हो सके कभी इस बात पे कुछ तो अमल किजिए ,
ठहरने दिजिए या जाने का इजाजत दे ,
इज़ाफा क्या हसरतें गूल में करें और अब रोक लो या जाने दो ."

--- रबिन्द्र राम
© Rabindra Ram