...

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मेरे बचपन के दिन
👶
सर पे मोटी चोटी, हाथ मे तेल रोटी
मुह मे आठ दांत उमर थी काफी छोटी,
👁️👁️
बड़ी-बड़ी अखियों मे मोटे काजल
मार खा के रोता तो जैसे लगते बादल,
😭😭
माथे पर लगाती थी अम्मा काला टीका
अब बिना उसके सही पर लगता थोड़ा फीका,
🧿
भेजती थी माँ बना के राजा बेटा
पर बाहर जाके माटी मे धूल से नहा लेता,
😁😁
जैसा चाहा वैसा होता, था अपना शासन
दादा की सरकार थी और मै नेता,
🤓😎
हँसता था मुह से टपक जाती लार
क्या गंगाधर ही शक्तिमान? बड़ा किया विचार,
😢🤔
सोचते सोचते ही स्कूल भेज दिया
पहुंचा लेके झोला उमर थी मेरी चार,
🚴
एक दिन मुझको एक बात आई याद
खाना था शहद पर नाम न था याद,
🍯🐝
परेशान थे सारे कि चाहिए क्या इसको
कह रहा था मां, है मुझको खाना खाद,
🤦🤦
कुत्तों को देख पसीने से जाता भर
कैसे बातऊँ सबको, भाई मुझको लगता डर,
😰🫣
दौड़ पड़ा एक दफा वो जो मेरे पीछे
निकला फिर कीचड़ से, जाते हुए घर,
🤕🤒
सोचता था बचपन मे कब होऊंगा बड़ा
चलानी मुझको गाड़ी है , अकेले हो खड़ा,
🦹🦹
अब गाड़ी भी हांथ है और सिर्फ बचपन की याद
बस कल ही की तो बात है ये सब, हूं सोच में पड़ा।।
🪷🪷

ध्रुव 🖋️