तल्खियां
ये जो उसकी खुशबु मुझसे अब तक नहीं जा रही, जिया भी नहीं जा रहा अब तो, जान भी नहीं जा रही।
यूँ तो रौशन किया है उसने पूरा शहर लेकिन,
एक मेरे घर तक ही उसकी रौशनी नहीं जा रही ।।
सुना है कि अब बड़े लोगों से सजती है महफ़िलें उसकी,
आशिक मोहल्ले के परेशां है, आज-कल वो छत पर नहीं जा रही।
कल फोन किया था मैंने पर जवाब नहीं आया उसका,
अब उन तक मेरी भी आवाज़ नहीं जा रही ।।
ऐसा भी हो सकता है कि आशियाँ बदल लिया हो उसने,
अब कोई चिट्ठी उसके पते तक नहीं जा रही।
कि अब उन बिन क्या ही देखें जमाने के नजारे ऐ 'दीप',
दिल से तो जा चुकी है वो, निगाहों से नहीं जा रही।।
#dying4her
©AK47
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यूँ तो रौशन किया है उसने पूरा शहर लेकिन,
एक मेरे घर तक ही उसकी रौशनी नहीं जा रही ।।
सुना है कि अब बड़े लोगों से सजती है महफ़िलें उसकी,
आशिक मोहल्ले के परेशां है, आज-कल वो छत पर नहीं जा रही।
कल फोन किया था मैंने पर जवाब नहीं आया उसका,
अब उन तक मेरी भी आवाज़ नहीं जा रही ।।
ऐसा भी हो सकता है कि आशियाँ बदल लिया हो उसने,
अब कोई चिट्ठी उसके पते तक नहीं जा रही।
कि अब उन बिन क्या ही देखें जमाने के नजारे ऐ 'दीप',
दिल से तो जा चुकी है वो, निगाहों से नहीं जा रही।।
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