...

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मेरे प्यार की हद
जब सारे जवाब तुझसे मिल गए,
तो अब शिकायत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है,
जो बंदिशों में रह कर की जाए,
वो मोहब्बत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है,
सांस तक तुझसे पूछे बिना नहीं आती,
इससे आगे इजाजत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है,
खुदा की जगह तेरा नाम लेती हूं,
इससे बढ़कर इबादत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है,
तेरी कुछ ऐसी लत लगी है,
कि भूल गए है आदत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है,
आखरी सांस भी तेरी बाहों में आए,
इससे आगे रुखसत क्या है,
मगर तू नहीं जानता कि मेरे प्यार की हद क्या है...!
© SHASHI