...

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।।भगवान हर मुसीबत मुझे क्यों देते है।।
थक गई हूं भगवान तेरी परीक्षा से,
संकट में जान है मेरी और कश्ती डूब रही आहिस्ता से।
तूने आज से पहले जितने दुख दिए सब सह लिए खुशी से,
अब अक चुकी हूं इन सब झमेलो से।
तूने जितना दिया उसमे खुद को ढाल लिया,
पर अब कम में भी तू मुसीबत देकर क्यों हम से मुख को मोड लिया।
कहते है तू जो करता वो सब अच्छे के लिए करता,
पर मुझे तोड़ कर तुझे कौनसा मज़ा है मिलता।
मन में हमेशा यही खयालात है आता,
की जब मेने किसी का बुरा नहीं किया तो मेरे साथ हर बार क्यों बुरा है हो जाता।
तेरी माया तुझी को पता,
पर मुझे एक बात समझादे की तुझे मैं ही क्यों मुसिब्तो को झेलने के काबिल मिला।।


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