#कतरा- कतरा ज़िन्दगी
कतरा- कतरा ज़िन्दग़ी निकल रही है
हर लम्हें पर कुछ सिखा रही है।
अनजान हैं हम उसके यूँ जाने से
जान जाते हैं, उसके निकल जाने पर
पूछते हैं फिर ए-ज़िन्दगी ऐसा क्यों
इतराती हुई ज़िन्दगी मुड़कर देखती भी नहीं।
करती है आगाह कई दफा,मशरूफ होते हैं हम,
समझाती है वक़्त बे वक़्त गुम होते हैं हम।
बीत जाता है सबकुछ, रह जाता है अफ़सोस,
कुछ अधूरी ख्वाहिशों की तरह!!!
© #Rk..✍
हर लम्हें पर कुछ सिखा रही है।
अनजान हैं हम उसके यूँ जाने से
जान जाते हैं, उसके निकल जाने पर
पूछते हैं फिर ए-ज़िन्दगी ऐसा क्यों
इतराती हुई ज़िन्दगी मुड़कर देखती भी नहीं।
करती है आगाह कई दफा,मशरूफ होते हैं हम,
समझाती है वक़्त बे वक़्त गुम होते हैं हम।
बीत जाता है सबकुछ, रह जाता है अफ़सोस,
कुछ अधूरी ख्वाहिशों की तरह!!!
© #Rk..✍