नादान इंसान
इंसान कोई भी बहाना करके लड़ता आया है
सदियों से जाने क्यों यह सिलसिला चलता आया है।
कभी धर्म,कभी जाति , कहीं रंग की लड़ाई
इतना समय बीत गया ,इस प्राणी को अकल न आई
न जाने कब समझेगा ये नादान इंसान
नहीं होती जाति ,धर्म ,रंग से तुम्हारी पहचान।
इंसान होने का पहला धर्म तो निभाओ
" इंसानियत " की...
सदियों से जाने क्यों यह सिलसिला चलता आया है।
कभी धर्म,कभी जाति , कहीं रंग की लड़ाई
इतना समय बीत गया ,इस प्राणी को अकल न आई
न जाने कब समझेगा ये नादान इंसान
नहीं होती जाति ,धर्म ,रंग से तुम्हारी पहचान।
इंसान होने का पहला धर्म तो निभाओ
" इंसानियत " की...