...

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माँ की शिक्षा
माँ का हर दिन,
कहे ले तू सपनों को बुन,
छोड़ काँटे,पुष्पों को बस चुन।

गरीब या अमीर,
न बेच अपना कभी जम़ीर,
ले फैसले हो कर सदैव गंभीर।

बूँदें बरसा स्नेहिल,
छोड़ मन का पर कौतूहल,
पारदर्शी रखना हरकदम दिल।

ममत्व की हो फुहार,
न देना कभी कहीं बिसार,
मिले न ऐसा सच्चा फिर प्यार।

रखें याद उसकी शिक्षा,
मत मांगो रहम की भिक्षा,
कर स्वयं अपनी ही आत्मरक्षा।
© Navneet Gill