...

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अल्फाज-ए खाक..🙏P
वफा के बदले बेवफाई ना दिया कर
मेरी उमीद ठुकरा कर इन्कार ना किया कर
तेरी मौहब्बत में हम सब कुछ गवां बैठे
जान चली जायेगी इम्तिहान ना लिया कर
तेरे दिल की महफिल सजाने आए थे
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे
ये तो बता किस बात की सजा दी तूने ओ बेवफा
हम तो तेरे दर्द को अपना दर्द बनाने आए थे
जाना ही था तो बता कर जाती
यूं बेवफ़ा का इल्जाम खुद पर ना लगवाती
हमने सोचा था कि हम ही तड़प रहे है
तुम्हारी यादों में ! पर आंखे बता रही है
नींद रात भर आपको भी नहीं आती
दिलो की धडकनों में साज होता है
सभी को अपनी मोहब्बत पर नाज होता है
प्यार में हर कोई नहीं होता बेवफा
बेवफ़ाई के पीछे भी कोई राज होता है
तू खुश है मेरे बगैर इसमे गलत कुछ नहीं है
मैं खुश हूँ तेरे बगैर इसमे सच कुछ नहीं है
तुझे चाहा था और चाहता रहूँगा, ये सच है
लेकिन अब तुझे ही चाहूँगा, ये सच नहीं है
ये कैसा सितम था उनका
कुछ पलो कि मोहब्बत के लिए
मुझे सालों आजमाया गया
फांसी मेरी पहले मुकर्रर कर दी
अदालत मुझे बाद में ले जाया गया
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है
तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी
हमें तो देखना है तू बेवफ़ा कहाँ तक है
बिन बात के ही रूठने की आदत है
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है
आप खुश रहें, मेरा क्या है
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है

🙏🙏🙏🙏🙏P😌😌😌😌😌




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