...

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मैं ऐसा कोई गान लिखूं!
करे जो लज्जित मन को मेरे
क्यों ही मैं वो अपमान लिखूं
बने चरण रज प्रभु के चरणन के
मैं ऐसा कोई गान लिखूं

मान लिखूं सम्मान लिखूं
उस मुरली की मैं तान लिखूं
हो कण-कण मेरा भी कान्हा सा
पांचाली की मैं दास्तान लिखूं

अशिक्षा को मैं ज्ञान लिखूँ
मृतक के देह में प्राण लिखूं
मुझसे ये हरगिज़ न होगा
एक देवता को शैतान लिखूं

सुबह लिखूं मैं शाम लिखूं
हृदय में जय श्री राम लिखूं
छोटों को स्नेह वो प्यार लिखूं
बड़ों को मैं प्रणाम लिखूं।
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