...

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दूर ना हुए...
हम यूँ ही तुमसे , दूर न हुए
खुद में मशहूर न हुए
कुछ वक़्त के धागे उलझते रहे ,
जज़्बातों के मांझे टूटते रहे
एक दूजे की गलियों से हम
राहों को सिमेटते रहे
हम यूँ ही तुमसे दूर ना हुए
खुद में मशहूर ना हुए....

बस कुछ शब्दों की दूरियां थी
कुछ हालातों की मजबूरियां थी
जो हम कुछ कह ना सके
और तुम कुछ समझ ना सके
मौन में उठी गलतफहमियों की
लहरों में हम फंसते रहे
जो कुछ रहा रिश्ते में
उसे अहम के सागर में , बहाते रहे
पास होकर भी दूरियों के
बहाने हम तलाशते रहे
खुद में मशहूर हो,
हम को गवाते रहे .....

हम यूँ ही तुमसे दूर ना हुए
खुद में मशहूर ना हुए .....

पास होकर भी ,
एक दूजे के हम, साथ ना रहे
साथ होकर भी
साथ छोड़ने का सोचते रहे
अहम की मारी, बाजी में
" मैं ही क्यूँ " की दीवार बनाते रहे
जो हम को मिटाती रही
रिश्ते को बस एक नाम बनाती रही
समझ को बेज़ान
और नासमझी को संवारती रही
जो साथ बिताए हर पल पर
बस प्रश्न चिन्ह लगाती रही
चाहत को धुँधला कर
आँसुओं में समाती रही .....

हम यूँ ही नहीं तुमसे दूर हुए
खुद में मशहूर ना हुए.....

धड़कन जो शब्दों से ज्यादा
तुम्हारी आहट को सुन लेती थी
आँखें जो बिना देखे चेहरा
तुम्हारे भाव पढ़ लिया करती थी
अब वो कुछ इतनी नाराज हो गई तुमसे
कि आहट पर ही, वो आँखें मूँद लेती है
फिर पिघल ना जाए , तुम्हारी झलक से
इसलिए चेहरा ही फ़ेर लेती है
चाहत को दिल में रख
वो खुद से ही लडती है
तुम कैसे हो गए , इतने बेवफ़ा
बस इतना ही कह पाती है
कदमों की चाहत पर भी
ना दूरियां कम कर पाती है
जलते दिल की मोहब्बत में
बस इतना कह पाती है...
हम यूँ ही तुमसे दूर ना हुए
हम यूँ ही तुमसे दूर ना हुए......


© nehaa