...

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dekhi hai
ऐसा तो हरगिज़ नहीं की ये रात देखी हैं
इस से पहले ये हिज्र की रात नहीं देखी हैं

अब ये बिलाप उम्र भर के लिए हैं
तुझको रुखसत होते हुए जो देखी हैं

कौन ले सुध बिछड़े यार का
मैने तो बिरह में तड़पते लाश देखी हैं

हुई होगी इस्तिकबाल की तयारी कहीं और
यहां तो बस गाते हुए मर्सिया देखी हैं

होगी मेरी मय्यत भी खुशामद वाली
जब से उठते हुए तेरी डोली देखी हैं

और सुनाए क्या ख़बर दस्तांगो अब
जिसने अधूरी मोहब्बत की मुक्कमल दास्तां देखी हैं।